मित्रों पिछले कुछ दिनों से टी० वी ० के हर न्यूज़ चैनल पर लगभग एक सा हाल ही देखने को मिल रहा है .भारत के अधिकतर क्षेत्रों में उत्तर पशिचिमी मानसून जल्दी आ जाने से भारी वर्षा और बाढ़ की स्थिति बनी हुई है .किन्नौर में भू -स्खलन .उत्तरकाशी ,यमुना नगर ,उतरांचल व अन्य कई स्थानों में मुसलाधार बारिश से जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है .यहाँ तक की चार -धाम की यात्रा को भी स्थगित करना पड़ा है .देश के इन वर्षा ग्रस्त क्षेत्रों में लगभग 2 5 ,0 0 0 लोग फंसे पड़े हैं .कई जगह गाड़ियाँ पानी में फँसी हैं तो कहीं से बसों के पलटने का दुखद समाचार मिल रहा है .ये बहुत चिंतनीय विषय है .बहुत से लोग इस बाढ़ की स्थिति में अपना सब कुछ गँवा चुके हैं ,घर -परिवार सब कुछ .हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान से भी ऊपर बह रही है .
मैंने एक चेनल पर एक ऐसे आदमी की कहानी सुनी जो बाढ़ में डूबे और गुम हुए लोगों को ढूँढने में लगा था .उसने हाथ में एक छोटी बच्ची पकड़ रखी थी और बचाव कार्य में लगा था .जब रिपोर्टर ने उससे पूछा की आप ये कार्य अपनी जान को खतरे में डालकर क्यों कर रहे हैं ?तो उसका जबाब था ,”मैंने भी ऐसी ही बाढ़ में अपने माँ -बाबा और घर को खो दिया था .ये बच्ची मुझे पास ही पड़ी मिली ,बस रोये जा रही थी ,मैंने इसे उठा लिया है बस .देखते हैं इसपर भगवन को रहम आता है या नहीं .वैसे सामने देखिये (एक बाढ़ ग्रस्त शिव मंदिर की ओर इशारा करते हुए ) भगवान भी खुद आसरा ढूंढ रहे हैं जनाब! तो हम क्या हैं ?”
मित्रों उसकी ये बात सुनकर उस रिपोर्टर को क्या लगा होगा ये तो मैं नहीं बता सकती लेकिन मैं जरूर भावुक हो गयी।सही तो कहा उसने उसकी बात ने मुझे वहां की स्थिति से ऐसे अवगत करवाया जैसे मै साक्षात् ये तबाही का मंजर देख रही हूँ।
कुछ दिनों से देश का प्रधानमंत्री कौन बनेगा?वो बनने लायक है या नहीं ?किस पार्टी में तलाक हुआ किस पार्टी के नेता के घर लंगर लगा ,क्या ये सब इतना महत्वपूर्ण है दोस्तों ?
इन्ही ख़बरों के बीच एक और खबर थी की कहीं एस .डी . एम .साहब की गाड़ी भी पानी में फँस गयी थी .जिसे निकालने के लिए जे सी बी मशीन को लाया गया और उन्हें बचाया गया ..और वहीँ एक दूसरी खबर ये भी थी की यमुना नगर के एक गाँव में 5 0 किसान बाढ़ आने से फंसे पड़े हैं .वे एक मकान की छत पर बैठे सरकारी सहायता के आने का इंतज़ार कर रहे हैं .ये हंसी में उड़ा देने की बात नहीं है दोस्तों .ये वो हकीकत है जो सही मायने में एक आम इंसान की असली हालत को बयान कर रही है .मैं बहुत कुछ लिखना चाहती हूँ लेकिन भावुकतावश नहीं लिखना चाहती .बस उस आम आदमी के जीवन के इन दुखद पलों को कविता में पिरो रही हूँ …
सफ़र
मैं सफ़र करता रहा ,
बस यूँ ही चलता रहा .
अचानक एक मोड़ पर एक किलकारी से मुलाकात हुई ,
उससे आँखों ही आँखों में कुछ बात हुई .
एक छोटी सी मुनिया थी वो ,
कभी हंसती कभी रो देती थी वो ,
लोरी सुनाने पर मेरी बांहों में सर रखकर सो देती थी वो .
मैं मन में सोचता रह गया –
मैं किस मोड़ पे खड़ा हूँ ,
आज लग रहा था जैसे मैं ईश्वर से भी बड़ा हूँ ,
मंजर ही कुछ ऐसा है दोस्तों
शिव जी ,जटाधारी ,गंग्धारी , नदी के उफान में डूबते दिख रहे हैं
और में किनारे पर खड़ा हूँ .
न जाने कितने ही लोग ऋषिकेश में नदी के बहाव में फंसे हैं .
इस पानी के शोर में अब तक न जाने कितने मकान ढहे हैं ……
और मैं…….-
किसी की खोई मुनिया को अपनी बाँहों में थामे मुहाने पर खड़ा हूँ .
उसके मात-पिता कहीं से आवाज़ दे दें ,इसी चिंतन पड़ा हूँ .
जब जब मानव ने प्रकृति पर अपना बल प्रयोग किया ,
प्रकृति ने भी मानव से खूब डट कर इसका बदला लिया …..
आज मौसम का पता लेने को हम खिड़की भी हलके से खोलते हैं ,
डर लगता है कहीं सामने तबाही से मुलाकात न हो जाये .
आँखें बंद करके सोना ही अच्छा है दोस्तों ,
कहीं आँख खुलने पर जीवन जीने का भ्रम भी दूर न हो जाये ….
ये सब देख कर एक भुला हुआ सा ख्याल मन में आता है ,
एक गुज़रा जमाना मेरी आँखों में अक्सर पानी ले आता है .
मैं क्यूँ इन सवालों की उधेड़- बुन में पड़ा हूँ ?
कभी ऐसी ही उफनती नदी की लहरों से मैं भी तो लड़ा हूँ .
मैंने भी कुछ सालों पहले ऐसी ही तबाही में सब कुछ गवाया है ,
आज वही मंजर फिर मेरी आँखों के सामने न चाहते हुए भी लौट आया है .
आज इस किलकारी को निराश न होने दूंगा ,
जो नन्ही जान जान मैंने यूँ अनजाने में पाई है
उसे कहीं खोने न दूंगा ….
.
प्रकृति का कहर यूँ ही कई बार
कभी तूफान ,कभी बाढ़
कभी गर्मी और बरसात बनकर बरसता रहा ,
और इस बात का साक्षी बनने के लिए ,
कोई न कोई मासूम,
कहीं कोने में पड़ा रोता हुआ बिलखता रहा ….
मेरा सफ़र शायद ऐसी ही किसी मुनिया को बचाने के लिए था .
मेरा चलना भी शायद किसी की बिखरी दुनिया को सजाने के लिए था .
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