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अजब दुनिया

नई सोच का नया दायरा
नई सोच का नया दायरा
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अजब दुनिया

बड़ी अजीब दुनिया है यारों ,
लेकिन मैं भी इसी दुनिया का हिस्सा हूँ ,
अँधेरे में खोया एक किस्सा हूँ ..

ajab duniya

मगर हाँ ,
मैं अँधेरे से बiहर आना चाहता हूँ ,
उजाले में सांस लेना चाहता हूँ .
क्या मेरे वजूद को कोई समझेगा ?
अगर मैंने लड़का बन जन्म लिया ,तो ठीक !!
अगर लड़की बना तो ?
तो क्या मेरा नसीब भी उतना ही चमकेगा ?…


ये सोच कर बस सहम जाता हूँ ..
इसलिए दुनिया में आने से घबराता हूँ।।


एक और बात से भी मैं परेशां होता हूँ कभी -२ ,
जब कभी माँ रो देती है ….
हाँ ..माँ रो देती है …..


और रोते रोते मुझे प्यार करती है ,
समझाती है मुझे –
बच्चे बड़ी ज़ालिम है ये दुनिया ,
बात बात पे इम्तेहान लेती है .
कभी आँखों पर बिठाती है ,
कभी पल में गिरा देती है ये दुनिया ..


माँ के प्यार का क़र्ज़ मैं कैसे उतार पाऊँगा ?
इस दुनिया में कदम रखा तो ठीक ,
वरना क्या पता जन्म से पहले ही मारा जाऊंगा !!
मुझे मरने न देना ,हो सके तो बचा लेना ,
मैं इस दुनिया में आना चाहता हूँ ..
माँ को सम्मान दिलाना चाहता हूँ .

ajab duniya

बड़ी अजीब दुनिया है यारों ,
लेकिन मैं भी इसी दुनिया का हिस्सा हूँ .
अँधेरे में खोया एक किस्सा हूँ ..


श्रुति शर्मा(07-12-13)

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